भारत की राजव्यवस्था ( bharat ki rajvyavastha) |6th revised edition & भारतीय शासन ( bhartiya shasan ) | 3rd edition product bundle
भारत की राजव्यवस्था ( Bharat Ki Rajvyavastha) |6th Revised Edition |UPSC | Civil Services Exam | State Administrative Examsमैक्ग्रॉ हिल गर्व से लगातार सर्वश्रेष्ठ विक्रेता के छठवें संशोधित संस्करण को प्रस्तुत करता है और इस विषय पर सबसे प्रसिद्ध शीर्षक - एम लक्ष्मीकांत द्वारा लिखित भारत की राजव्यवस्था। यह पुस्तक सिविल सेवा परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य राज्य सेवा परीक्षाओं के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों के लिए अवश्य पढ़ी जानी चाहिए। यह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपस्थित होने वाले छात्रों को ही नहीं, बल्कि देश के राजनीतिक, नागरिक और संवैधानिक मुद्दों में रुचि रखने वाले स्नातकोत्तर, अनुसंधान विद्वानों, शिक्षाविदों और सामान्य पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संकल्पित है। हाल के घटनाक्रमों के अनुसार मौजूदा अध्यायों को पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन किया गया है | मुख्य आकर्षण: 1) निम्नलिखित प्रमुख विषयों हेतु वैचारिक वीडियो दिए गए लिंक/क्यूआर कोड पर उपलब्ध: a). मौलिक अधिकार b). संसद की भूमिका एवं उसकी सीमाएं c). महत्वपूर्ण अनुच्छेद d). राष्ट्रीय आपातकाल और राजनीतिक व्यवस्था पर इसका प्रभाव 2) संबंधित परिशिष्टों के साथ पूरे भारतीय राजनीतिक और संवैधानिक विस्तार का 80 अध्यायों में विवेचन 3) अध्यायों की परीक्षा के नवीनतम प्रारूप के अनुसार पुनर्व्यवस्था 4) जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के हालिया घटनाक्रम, संवैधानिक व्याख्या, न्यायिक समीक्षा और न्यायिक सक्रियता का समावेश 5) पिछले वर्षों के सवालों और प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं के लिए संशोधित अभ्यास प्रश्न 6) सिविल सेवा के उम्मीदवारों, कानून, राजनीति विज्ञान और सार्वजनिक प्रशासन के छात्रों के लिए एकल सन्दर्भ पुस्तकभारतीय शासन ( Bhartiya Shasan ) | 3rd Edition |UPSC | Civil Services Exam | State Administrative Examsपूर्णतः संशोधित पुनर्गठित और अद्यतन एम लक्ष्मीकांत द्वारा भारतीय शासन तृतीय संस्करण सिविल सेवा एवं अन्य परीक्षाओं पर केंद्रित है। इसके अतिरिक्त यह पुस्तक उन पाठकों हेतु भी बेहद उपयोगी है जिन्हें देश के शासन के प्रासंगिक विकास की गतिशीलता समझने में रूचि है | प्रमुख विशेषताऐं: 1. नए अध्याय a. परलैंगिक व्यक्तियों के अधिकार b. सार्वजनिक नीति (7) c. केंद्रीय वित्त मंत्रालय की भूमिका d. नागरिक समाज की भूमिका 2. सभी विषयों का पाठक -अनुकूल प्रारूप में पुनर्गठन 3. नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार अध्यायों का नामकरण 4. सभी विषयों पर अतिरिक्त अद्यतन जानकारी का समावेश 5. प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्नों का समावेश